कल दिन भर की व्यस्तताओं के बाद जब शाम को अपने कमरे में बैठा तो सोचा कि थकान को दूर करने के लिए कुछ देर टीवी का सहारा ले लूँ. इसलिए टीवी चला के बैठ गया और अपनी आदत के अनुसार अलग-अलग न्यूज चैनलों की खाक छानने लगा क्योंकि बाबा रणछोड़ दास ने कहा है-"कि जहां भी ज्ञान बंट रहा हो लेते चलो". लेकिन आज इसका कोई फायदा न था क्योंकि हर न्यूज चैनल अभी दिल्ली की दीवानगी में ही व्यस्त था ऐसा पता चल रहा था कि देश-दुनिया में अभी सबकुछ ठीकठाक चल रहा है इससे बड़ी घटना अभी कहीं नहीं घटी है इसीलिए हर न्यूज चैनल अपने हिसाब से केजरीवाल की सुनामी और प्रेम-कहानी में टीआरपी बढ़ाने में व्यस्त था.
वैसे ये कोई नई बात नहीं है समय समय पर ये सब चीजें नये नये रूप में होती रहती हैं, भारत एक उदारवादी देश है इसका अगर कोई साकार रूप प्रस्तुत करता है तो वह वाकई में हमारी मीडिया है जो समय समय पर बिना भेदभाव किये हुए कभी हमें शोषित पीड़ित जनता के दुख दर्द से रूबरू कराती है तो कभी हमें बन्टी चोर की वीरगाथाएं सुनाती है तो कभी डाॅन के ऐशोआराम से हमें दो-चार कराती है.
हमारी मीडिया की सक्रियता तो इतनी ज्यादा है कि हमने मुंबई में हुए हमलों का लगातार 60 घन्टों तक सजीव प्रसारण किया और बिना भेदभाव के पूरी दुनिया के साथ-साथ उन आतंकवादियो को भी बाहर चल रही फौजी गतिविधि को दिखाया जिन्होंने उस पर हमला किया था और अन्दर होटल में छिपे बैठे थे ताकि उन्हें ये शिकायत न रहे कि अमुक न्यूज चैनल ये तो कहता है कि "आपको रखे आगे" पर समय आने पर इसने पीछे कर दिया. आखिर भारतीय लोकतंत्र का ये चौथा स्तंभ किसी को शिकायत का मौका कैसे दे सकता है और अगर आपको इसकी जिम्मेदारी और नैतिकता से कोई शिकायत है तो आपके लिए आसान विकल्प यही होगा कि एक चैनल बदलकर दूसरे पर चले जाइए क्योंकि इसमें खुद की शिकायतों को सुन पाने की सहनशीलता बिल्कुल भी नहीं है तभी तो जिन केजरीवाल को ये मीडिया आज अपने सर-ऑखों पर बैठाये हुए है उन्हीं केजरीवाल ने जब इसकी नैतिकता पर प्रश्न उठाए तो एकाएक उन्हें भी हाइप से दूर कर दिया और आज जब वह फिर से टीआरपी मेकर बनके उभरे हैं तो उन्हें फिर से गले लगा लिया॥
आखिर भारतीय मीडिया को कब समझ में आएगा कि शिकायतों पर अगर ध्यान दिया जाये तो वे सुधार की तरफ ले जाती हैं और सुधार श्रेष्ठता की तरफ॥
~इतिश्री~
वैसे ये कोई नई बात नहीं है समय समय पर ये सब चीजें नये नये रूप में होती रहती हैं, भारत एक उदारवादी देश है इसका अगर कोई साकार रूप प्रस्तुत करता है तो वह वाकई में हमारी मीडिया है जो समय समय पर बिना भेदभाव किये हुए कभी हमें शोषित पीड़ित जनता के दुख दर्द से रूबरू कराती है तो कभी हमें बन्टी चोर की वीरगाथाएं सुनाती है तो कभी डाॅन के ऐशोआराम से हमें दो-चार कराती है.
हमारी मीडिया की सक्रियता तो इतनी ज्यादा है कि हमने मुंबई में हुए हमलों का लगातार 60 घन्टों तक सजीव प्रसारण किया और बिना भेदभाव के पूरी दुनिया के साथ-साथ उन आतंकवादियो को भी बाहर चल रही फौजी गतिविधि को दिखाया जिन्होंने उस पर हमला किया था और अन्दर होटल में छिपे बैठे थे ताकि उन्हें ये शिकायत न रहे कि अमुक न्यूज चैनल ये तो कहता है कि "आपको रखे आगे" पर समय आने पर इसने पीछे कर दिया. आखिर भारतीय लोकतंत्र का ये चौथा स्तंभ किसी को शिकायत का मौका कैसे दे सकता है और अगर आपको इसकी जिम्मेदारी और नैतिकता से कोई शिकायत है तो आपके लिए आसान विकल्प यही होगा कि एक चैनल बदलकर दूसरे पर चले जाइए क्योंकि इसमें खुद की शिकायतों को सुन पाने की सहनशीलता बिल्कुल भी नहीं है तभी तो जिन केजरीवाल को ये मीडिया आज अपने सर-ऑखों पर बैठाये हुए है उन्हीं केजरीवाल ने जब इसकी नैतिकता पर प्रश्न उठाए तो एकाएक उन्हें भी हाइप से दूर कर दिया और आज जब वह फिर से टीआरपी मेकर बनके उभरे हैं तो उन्हें फिर से गले लगा लिया॥
आखिर भारतीय मीडिया को कब समझ में आएगा कि शिकायतों पर अगर ध्यान दिया जाये तो वे सुधार की तरफ ले जाती हैं और सुधार श्रेष्ठता की तरफ॥
~इतिश्री~
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