Tuesday, 23 May 2017

"Terrorism" की जन्मभूमि....फ्रांस

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज जिस आतंकवाद को फ्रांस बार-बार और लगातार झेल रहा है दरअसल उस आतंकवाद शब्द को पहचान ही फ्रांस से मिली है आज आतंकवाद के लिए जिस अंग्रेजी शब्द Terrorism का उपयोग हम करते हैं उसकी उत्पत्ति और कहीं नहीं बल्कि फ्रांस में ही हुई है.
फ्रांसीसी क्रांति के बड़े प्रभावी नेता Maximilien Robbespiere ही वह शख्स थे जिन्होंने सबसे पहले आधुनिक आतंकवाद को परिभाषित किया Robbespiereने Terrorism को परिभाषित करते हुए कहा था - "आतंक दरअसल त्वरित व लचीले न्याय का ही दूसरा नाम है"॥
और उन्हीं Maximilien Robbespiere के नेतृत्व में 1793-94 के दौरान फ्रांस में एक युग की शुरुआत हुई थी जो इतिहास में Reign of terror ( आतंक का युग) के नाम से दर्ज है हालांकि उसकी शुरुआत इसलिए की गई थी कि फ्रांस की जनता को दमनकारी शासकों से मुक्ति दिलाई जा सके लेकिन आज सवा दो सौ साल बाद विडंबना देखिए कि फ्रांस के लिए उस एक शब्द के मायने कितने बदल चुके हैं....

अरुण कमल- इस नए बसते इलाके में

इस नए बसते इलाके में
जहाँ रोज़ बन रहे हैं नये-नये मकान
मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूँ

धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
खोजता हूँ ताकता पीपल का पेड़
खोजता हूँ ढहा हुआ घर
और ज़मीन का खाली टुकड़ा जहाँ से बाएँ
मुड़ना था मुझे
फिर दो मकान बाद बिना रंग वाले लोहे के फाटक का
घर था इकमंज़िला

और मैं हर बार एक घर पीछे
चल देता हूँ
या दो घर आगे ठकमकाता

यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे वसन्त का गया पतझड़ को लौटा हूँ
जैसे बैशाख का गया भादों को लौटा हूँ

अब यही उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
और पूछो
क्या यही है वो घर?

समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देख कर

भक्तवादी राजनीति पर डॉ अंबेडकर का कथन

अंबेडकर ने एक बार करिश्माई सत्ता के सामने बिना सोचे-समझे अपने आपको समर्पित कर देने से संबंधित अपनी टिप्पणी में अंग्रेजी दार्शनिक जाॅन स्टुअर्ट मिल को याद करते हुए उनकी एक बात दोहराई जो ये थी कि -

"किसी महान व्यक्ति के चरणों में भी अपनी स्वाधीनता का समर्पण नहीं करना या फिर किसी ऐसे महान व्यक्ति को सर्वसत्ताधिकारी नहीं बनाना जो तुम्हारी संस्थाओं को ही भ्रष्ट कर दे ।"
इस कथन का भारत के संबंध में आशय यह था कि -

"भारत में भक्ति या समर्पण की राह या वीरपूजा राजनीति में ऐसी भूमिका निभाती है जैसी दुनिया के किसी भी देश में नहीं निभाती। किसी धर्म में भक्ति की भूमिका आत्मा की मुक्ति के लिए हो सकती है लेकिन राजनीति में भक्ति या वीरपूजा पतन और तानाशाही की राह की ओर ले जाती है॥"

Friday, 20 November 2015

भारत की स्वतंत्रता में हिटलर का योगदान

हिटलर,एक ऐसी शख्सियत जिसने तानाशाही शब्द एवं इसके अर्थ को अपने नाम में समेट लिया और बन गया तानाशाही का सबसे बड़ा ब्रांड अंबेसडर इस शख्स ने बहुत से काम ऐसे किये जो मानवीय मूल्यों के आधार पर कतई उचित नहीं ठहराये जा सकते लेकिन इसके द्वारा किए हुए कुछ कार्य ऐसे भी थे जिनसे कई राष्ट्रों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में लाभ भी पहुंचा उन्हीं राष्ट्रों में एक था भारत.अब अगर बात की जाए कि आखिर हिटलर से भारत को क्या लाभ हुआ तो इसके लिए हमें थोड़ा पीछे यानि द्वितीय विश्व युद्ध में जाना होगा जिस समय इंग्लैंड अपनी समृद्धता के चरम पर था और उसकी साम्राज्यवादिता का आलम यह था कि लगभग आधे विश्व पर उसका कब्जा था उस वक्त उससे मजबूती से लड़ने की हिम्मत अगर किसी ने दिखाई थी तो वह हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी की सेना ने दिखाई थी और जर्मनी की सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक नहीं बल्कि कई बार इंग्लैंड को जान और माल की भयंकर हानि पहुंचायी.बात मई 1940 की है जब जर्मनी ने अपने पड़ोसी फ्रांस पर हमला करने के लिए उसकी सीमा को घेर लिया था तब फ्रांस ने इंग्लैंड से मदद मांगी थी और इंग्लैंड ने अपनी सेना को फ्रांस भेजा उसकी मदद के लिए लेकिन जब हिटलर की सेना ने फ्रांस पर हमला किया तो हमला इतना जबरदस्त था कि इंग्लैंड की सेना युद्ध छोड भाग खडी हुई और जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया इस घटना के विरोध में कुछ दिनों के बाद सितंबर 1940 में जब इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने जर्मनी को उसकी हद बताने के उद्देश्य से अपनी वायुसेना को बर्लिन के बाहरी गैर रिहायशी इलाकों में बम गिराने का आदेश दिया तो इंग्लैंड की वायुसेना(रायल एयर फोर्स) ने बर्लिन के बाहरी क्षेत्रों में बम बरसाने के बजाये बीच बर्लिन शहर में बम बरसा दिये जिनमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई इसके बाद इस हमले से डरने के बजाए हिटलर आगबबूला हो गया और उसने अपनी वायुसेना (लुफ्तवाॅफ) को आदेश दिया कि जाओ और पूरा लंदन उडा दो जवाब में 57 दिनों तक लुफ्तवाॅफ ने लंदन पर ऐसा जबरदस्त हमला किया कि आधा लंदन साफ हो गया, लुफ्तवाॅफ के हमले इतने तेज होते था कि इंग्लैंड की वायुसेना को संभलने और लडने का मौका तक नहीं मिलता था और लुफ्तवाॅफ अपना काम करके चली जाती थी इस प्रकार उसने लंदन के साथ-साथ अन्य शहरों एवं बंदरगाहों को भयंकर हानि पहुंचाई और इंग्लैंड की कमर तोड़ के रख दी.द्वितीय विश्व युद्ध के खतम होते होते इंग्लैंड काफी कमजोर हो चुका था और ऐसी हालत में वो भारत में हो रहे विरोध को दबा नहीं सकता था जिसके कारण उसने कूटनीतिक तौर पर भारत को तोडना (जिससे भविष्य में स्थायी शासन के अभाव में फिर से राज किया जा सके) और छोडना ही उचित समझा और इस प्रकार भारत के स्वतंत्र होने की वैश्विक स्तर पर एक पटकथा ये भी है॥

Wednesday, 8 April 2015

चाॅक

तेजी से बदलते इस दौर में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो समय के साथ-साथ पीछे छूटती चली जा रही हैं और इस बात को कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हो सकता है ये सब चीजें आने वाले कुछ वर्षों में दैनिक चलन से दूर हो जायें और बहुत सी चीजें तो दूर हो भी गई हैं•ऐसी ही वस्तुओं में शामिल हैं चाॅक,स्लेट,फाउंटेन पेन जैसी वो चीजें जो कभी हमारे बचपन का अहम हिस्सा हुआ करती थीं लेकिन अब ये सारी चीजें तेजी से चलन से बाहर होती जा रही हैं क्योंकि आधुनिक बाजार में अब इनके दूसरे विकल्प उपलब्ध हैं•विकल्प के रूप में जहां एक ओर चाॅक की जगह मार्कर ने ले ली है तो वहीं दूसरी ओर स्लेट की जगह मैजिक बोर्ड और फाउंटेन पेन की जगह बाल प्वाइंट पेन जैसी चीजों ने ले ली है•आज अगर हम बात की शुरुआत चाॅक से करें और चाॅक के माध्यम से अपने बचपन के दिनों में झांकने की कोशिश करें तो हम पाते हैं कि किन अलग-अलग तरहों से वो चाॅक की स्टिक हमें लुभाती थीं•कभी मुंह में लगाकर सिगरेट सा अंदाज बयां करने में तो कभी खाली क्लास में ब्लैक बोर्ड पर मास्टर साहब की नकल उतारने में॥
भला कैसे भूल सकता हूं मैं अपने स्कूल की चाॅक की उस एकमात्र ब्रांड "प्रेम चाॅक" को जिसके डिब्बे से हम लोग रोज एक-दो चाॅक उडाते थे और उसके बाद उसका बेहतर उपयोग घर के दरवाजों और दीवारों पर किया करते थे•वैसे स्कूलों और कॉलेजों में चाॅक का व्यापक प्रयोग शिक्षकों का चरित्र चित्रण करने उनकी गुप्त जीवनी लिखने के साथ-साथ उन्हें एकान्त दीवारों पर अलग अलग उपनामों से अलंकृत करने जैसे कार्यों के लिए भी किया जाता रहा है॥
वो चाॅक ही थी जिससे मैंने स्वर व्यंजन को लिखना सीखा अंकों को पहचानना सीखा, ये उन रंग बिरंगी चाॅकों का ही कमाल था जिसने जीव विज्ञान की क्लास को भी इतना मजेदार बना दिया था॥
चाॅक का भी क्या फलसफा है हमारी इच्छा के अनुसार कभी शब्दों में तो कभी चित्रों में ढलकर हमेशा के लिए हमारे दिल और दिमाग खुद को बसा लेती है॥
वैसे मार्कर के आ जाने के बाद चाॅक भी अपने अस्तित्व को लेकर जूझ रही है और हो सकता है कि आने वाले आठ दस वर्षों में इसका भी वही हाल हो जो फाउंटेन पेन का हुआ है॥

Monday, 30 March 2015

अगर तुम न होते

तुम्हारे होने पर एक खुशनुमा सा एहसास होता है,
तुम्हारे रूठने पर कुछ भी न पास होता है
अगर तुम न होते तो ये प्यार कहाँ फिर होता, पल में सदियां जीने का ये अंदाज कहां फिर होता
अब तो बस तुम और तुम्हारे साथ का ये अहसास ही साथी है उन साथ गुजारे लम्हों की हर बात निराली है, 
वो हंसकर जीने मरने की और रोकर दूर न होने की हर बात ही प्यारी है,
अगर तुम न होते तो वो लम्हे खास कहाँ से होते दूर होकर भी खुदसे हम यूँ पास कहाँ फिर होते
अगर तुम न होते तो शायद ये अहसास भी न होते, 
अगर तुम न होते अगर तुम न होते......

Wednesday, 25 February 2015

जीएसटी

आखिर क्या है जीएसटी? 
                                 वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी वास्तव में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आरोपित किये जाने वाले समस्त अप्रत्यक्ष करों  जैसे- वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, लक्जरी टैक्स आदि का सम्मिलित एकल स्वरूप है अर्थात उपरोक्त सभी करों के अलग-अलग भुगतान के स्थान पर सिर्फ एक कर का भुगतान करना होगा जो जीएसटी के नाम से जाना जाएगा॥

जीएसटी लागू करने का क्या है उद्देश्य? 

                                                      जीएसटी लागू करने का यही उद्देश्य है कि देश के समस्त राज्यों में वस्तुओं एवं सेवाओं की असमान कर व्यवस्था के स्थान पर समान कर व्यवस्था का निर्धारण करना जिससे कि पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य एक किया जा सके तथा बहुल कर प्रणाली के स्थान पर एकल कर प्रणाली को स्थापित किया जा सके ॥
किस सिद्धांत पर लागू होगा जीएसटी? 


विभिन्न करों का जीएसटी के अन्तर्गत एकीकरण निम्न सिद्धांत पर होगा -

1. जिन वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन या क्रियान्वन तो देश के एक कोने में होता है लेकिन उनका उपभोग देश के दूसरे कोने में होता है ऐसी समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से लेकर आपूर्ति तक में जितने भी टैक्स लगते हैं उन सभी के स्थान पर एकमात्र जीएसटी को लागू करने का प्रावधान है॥

2.  ऐसे सभी टैक्स जो वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति से संबंधित नहीं है वे सभी जीएसटी से बाहर होंगे॥

जीएसटी को दो स्तर पर लागू किया जाएगा -

   
1. राज्य स्तरीय जीएसटी- इसके अंतर्गत राज्य स्तरीय करों जैसे- वैट, सेल्स टैक्स, लक्जरी टैक्स आदि को एकीकृत किया जाएगा॥   
2. केंद्र स्तरीय जीएसटी- इसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले करों जैसे- सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी आदि को एकीकृत किया जाएगा॥

कौन से उत्पादों पर जीएसटी लागू होगा?                                              

                                                       
तम्बाकू उत्पादों पर लगने वाले सभी टैक्सों के स्थान जीएसटी को लागू किया जाएगा लेकिन सरकार जीएसटी लागू होने के बाद भी अगर चाहे तो इनपर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगा सकेगी॥

कौन से उत्पादों पर जीएसटी लागू नहीं होगा? 
                                                           
अभी पेश किए गए विधेयक में फिलहाल पेट्रोलियम एवं एल्कोहल उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा गया है इनपर टैक्स निर्धारण पूर्ववत ही होगा॥

~ इतिश्री ~