Monday, 30 March 2015

अगर तुम न होते

तुम्हारे होने पर एक खुशनुमा सा एहसास होता है,
तुम्हारे रूठने पर कुछ भी न पास होता है
अगर तुम न होते तो ये प्यार कहाँ फिर होता, पल में सदियां जीने का ये अंदाज कहां फिर होता
अब तो बस तुम और तुम्हारे साथ का ये अहसास ही साथी है उन साथ गुजारे लम्हों की हर बात निराली है, 
वो हंसकर जीने मरने की और रोकर दूर न होने की हर बात ही प्यारी है,
अगर तुम न होते तो वो लम्हे खास कहाँ से होते दूर होकर भी खुदसे हम यूँ पास कहाँ फिर होते
अगर तुम न होते तो शायद ये अहसास भी न होते, 
अगर तुम न होते अगर तुम न होते......