हिटलर,एक ऐसी शख्सियत जिसने तानाशाही शब्द एवं इसके अर्थ को अपने नाम में समेट लिया और बन गया तानाशाही का सबसे बड़ा ब्रांड अंबेसडर इस शख्स ने बहुत से काम ऐसे किये जो मानवीय मूल्यों के आधार पर कतई उचित नहीं ठहराये जा सकते लेकिन इसके द्वारा किए हुए कुछ कार्य ऐसे भी थे जिनसे कई राष्ट्रों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में लाभ भी पहुंचा उन्हीं राष्ट्रों में एक था भारत.अब अगर बात की जाए कि आखिर हिटलर से भारत को क्या लाभ हुआ तो इसके लिए हमें थोड़ा पीछे यानि द्वितीय विश्व युद्ध में जाना होगा जिस समय इंग्लैंड अपनी समृद्धता के चरम पर था और उसकी साम्राज्यवादिता का आलम यह था कि लगभग आधे विश्व पर उसका कब्जा था उस वक्त उससे मजबूती से लड़ने की हिम्मत अगर किसी ने दिखाई थी तो वह हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी की सेना ने दिखाई थी और जर्मनी की सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक नहीं बल्कि कई बार इंग्लैंड को जान और माल की भयंकर हानि पहुंचायी.बात मई 1940 की है जब जर्मनी ने अपने पड़ोसी फ्रांस पर हमला करने के लिए उसकी सीमा को घेर लिया था तब फ्रांस ने इंग्लैंड से मदद मांगी थी और इंग्लैंड ने अपनी सेना को फ्रांस भेजा उसकी मदद के लिए लेकिन जब हिटलर की सेना ने फ्रांस पर हमला किया तो हमला इतना जबरदस्त था कि इंग्लैंड की सेना युद्ध छोड भाग खडी हुई और जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया इस घटना के विरोध में कुछ दिनों के बाद सितंबर 1940 में जब इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने जर्मनी को उसकी हद बताने के उद्देश्य से अपनी वायुसेना को बर्लिन के बाहरी गैर रिहायशी इलाकों में बम गिराने का आदेश दिया तो इंग्लैंड की वायुसेना(रायल एयर फोर्स) ने बर्लिन के बाहरी क्षेत्रों में बम बरसाने के बजाये बीच बर्लिन शहर में बम बरसा दिये जिनमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई इसके बाद इस हमले से डरने के बजाए हिटलर आगबबूला हो गया और उसने अपनी वायुसेना (लुफ्तवाॅफ) को आदेश दिया कि जाओ और पूरा लंदन उडा दो जवाब में 57 दिनों तक लुफ्तवाॅफ ने लंदन पर ऐसा जबरदस्त हमला किया कि आधा लंदन साफ हो गया, लुफ्तवाॅफ के हमले इतने तेज होते था कि इंग्लैंड की वायुसेना को संभलने और लडने का मौका तक नहीं मिलता था और लुफ्तवाॅफ अपना काम करके चली जाती थी इस प्रकार उसने लंदन के साथ-साथ अन्य शहरों एवं बंदरगाहों को भयंकर हानि पहुंचाई और इंग्लैंड की कमर तोड़ के रख दी.द्वितीय विश्व युद्ध के खतम होते होते इंग्लैंड काफी कमजोर हो चुका था और ऐसी हालत में वो भारत में हो रहे विरोध को दबा नहीं सकता था जिसके कारण उसने कूटनीतिक तौर पर भारत को तोडना (जिससे भविष्य में स्थायी शासन के अभाव में फिर से राज किया जा सके) और छोडना ही उचित समझा और इस प्रकार भारत के स्वतंत्र होने की वैश्विक स्तर पर एक पटकथा ये भी है॥